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भूली हुई सदा हूँ मुझे याद कीजिये
तुम से कहीं मिला हूँ मुझे याद कीजिये

मंज़िल नहीं हूँ ख़िज़्र नहीं रहज़न नहीं
मंज़िल का रंता हूँ मुझे याद कीजिये

मेरी निगाह-ए-शौक़ से हर गुल है देवता
मैं इश्क़ का ख़ुदा हूँ मुझे याद कीजिये

नग़्मों की इब्तिदा थी कभी मेरे नाम से
अश्कों की इंतहा हूँ मुझे याद कीजिये

गुम-सुम खड़ी हैं दोनों जहान की हक़ीक़तें
मैं उन से कह रहा हूँ मुझे याद कीजिये

"साग़र" किसी के हुस्न-ए-तग़ाफ़ुल शार की
बहकी हुई अदा हूँ मुझे याद कीजिये
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