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ऐ मेरे वतन के लोगों / प्रदीप

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|रचनाकार = प्रदीप
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ऐ मेरे वतन के लोगों
तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का
लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर
वीरों ने है प्राण गँवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो -२
जो लौट के घर न आये -२
ऐ मेरे वतन के लोगों<br>तुम खूब लगा ज़रा आँख में भर लो नारा<br>पानीये शुभ दिन है हम सब का<br>जो शहीद हुए हैं उनकीलहरा लो तिरंगा प्यारा<br>पर मत भूलो सीमा पर<br>वीरों ने है प्राण गँवाए<br>कुछ ज़रा याद उन्हें भी कर लो -२<br>जो लौट के घर न आये -२<br> <br>करो क़ुरबानी
ऐ मेरे वतन के लोगों<br>जब घायल हुआ हिमालयज़रा आँख खतरे में भर लो पानी<br>पड़ी आज़ादीजब तक थी साँस लड़े वोफिर अपनी लाश बिछा दीसंगीन पे धर कर माथासो गये अमर बलिदानीजो शहीद हुए हैं उनकी<br>ज़रा याद करो क़ुरबानी<br> <br>
जब घायल हुआ हिमालय<br>खतरे देश में पड़ी आज़ादी<br>जब तक थी साँस लड़े दीवालीवो<br>खेल रहे थे होलीफिर अपनी लाश बिछा दी<br>जब हम बैठे थे घरों मेंसंगीन पे धर कर माथा<br>वो झेल रहे थे गोलीसो गये अमर बलिदानी<br>थे धन्य जवान वो आपनेथी धन्य वो उनकी जवानीजो शहीद हुए हैं उनकी<br>ज़रा याद करो क़ुरबानी<br><br>
जब देश में थी दीवाली<br>कोई सिख कोई जाट मराठावो खेल रहे थे होली<br>कोई गुरखा कोई मदरासीजब हम बैठे थे घरों में<br>सरहद पर मरनेवालावो झेल रहे थे गोली<br>हर वीर था भारतवासीथे धन्य जवान वो आपने<br>जो खून गिरा पर्वत परथी धन्य वो उनकी जवानी<br>खून था हिंदुस्तानीजो शहीद हुए हैं उनकी<br>ज़रा याद करो क़ुरबानी<br><br>
कोई सिख कोई जाट मराठा<br>थी खून से लथ-पथ कायाकोई गुरखा कोई मदरासी<br>फिर भी बन्दूक उठाकेसरहद पर मरनेवाला<br>दस-दस को एक ने माराहर वीर था भारतवासी<br>फिर गिर गये होश गँवा केजो खून गिरा पर्वअत पर<br>जब अन्त-समय आया तोकह गये के अब मरते हैंखुश रहना देश के प्यारोंअब हम तो सफ़र करते हैंक्या लोग थे वो खून था हिंदुस्तानी<br>दीवानेक्या लोग थे वो अभिमानीजो शहीद हुए हैं उनकी<br>ज़रा याद करो क़ुरबानी<br> <br>
थी खून से लथ-पथ काया<br>फिर भी बन्दूक उठाके<br>दस-दस को एक ने मारा<br>फिर गिर गये होश गँवा के<br>जब अन्त-समय आया तो<br>कह गये के अब मरते हैं<br>खुश रहना देश के प्यारों<br>अब हम तो सफ़र करते हैं<br>क्या लोग थे वो दीवाने<br>क्या लोग थे वो अभिमानी<br>जो शहीद हुए हैं उनकी<br>ज़रा याद करो क़ुरबानी<br> <br> तुम भूल न जाओ उनको<br>इस लिये इसलिये कही ये कहानी<br>जो शहीद हुए हैं उनकी<br>ज़रा याद करो क़ुरबानी<br> <br>
जय हिन्द...
जय हिन्द की सेना -२<br>जय हिन्द, जय हिन्द, जय हिन्द <br> <br/poem>
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