भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अवतार एनगिल |संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल }} <poem>...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल
}}
<poem>पिता का धन
मौसमी मित्रों पर लुटा
ठगा-सा
रह गया
सिंदबाद
और अब
इस निर्मम अंधेरी रात में
आबाद शहर का बरबाद नागरिक
गश्त लगाते चौकीदार की हांक संग
देर तक जगता है
नींद से टलता है
पर नींद में चलता है---
किसी विशाल ह्वेल की पीठ-सी
ठण्डी दीवारों को टटोलता
वापस अपने गूदड़ तक आता है
और जैसे-तैसे
कर्ज़ का जुगाड़ कर
यात्रा शुरू करने का सपना देखते हुए
बुलंद इरादे की
गहरी नींद को
अर्पित हो जाता है---
सिंदबाद।</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=अवतार एनगिल
|संग्रह=अन्धे कहार / अवतार एनगिल
}}
<poem>पिता का धन
मौसमी मित्रों पर लुटा
ठगा-सा
रह गया
सिंदबाद
और अब
इस निर्मम अंधेरी रात में
आबाद शहर का बरबाद नागरिक
गश्त लगाते चौकीदार की हांक संग
देर तक जगता है
नींद से टलता है
पर नींद में चलता है---
किसी विशाल ह्वेल की पीठ-सी
ठण्डी दीवारों को टटोलता
वापस अपने गूदड़ तक आता है
और जैसे-तैसे
कर्ज़ का जुगाड़ कर
यात्रा शुरू करने का सपना देखते हुए
बुलंद इरादे की
गहरी नींद को
अर्पित हो जाता है---
सिंदबाद।</poem>