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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=माधव कौशिक |संग्रह=अंगारों पर नंगे पाँव / माधव क...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=माधव कौशिक
|संग्रह=अंगारों पर नंगे पाँव / माधव कौशिक
}}
<poem>ख़ुश्बू के आसपास हैं कुछ और लोग भी
मेरी तरह उदास हैं कुछ और लोग भी ।
शायद हक़ीक़तों ने सब कुछ बदल दिया
सपनों में बदहवास हैं कुछ और लोग भी ।
कालिख में क़ैद हो गए सांसों के क़ाफिले
फिर भी घुली कपास हैं कुछ और लोग भी ।
तुम ही कहां गुलाम हो उनकी निगाह के
पुश्तों से उनके दास हैं कुछ लोग भी ।
बेहतर है अपने आप को रखिए ज़मीन पर
मज़बूरियों में ख़ास हैं कुछ और लोग भी ।</poem>
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|रचनाकार=माधव कौशिक
|संग्रह=अंगारों पर नंगे पाँव / माधव कौशिक
}}
<poem>ख़ुश्बू के आसपास हैं कुछ और लोग भी
मेरी तरह उदास हैं कुछ और लोग भी ।
शायद हक़ीक़तों ने सब कुछ बदल दिया
सपनों में बदहवास हैं कुछ और लोग भी ।
कालिख में क़ैद हो गए सांसों के क़ाफिले
फिर भी घुली कपास हैं कुछ और लोग भी ।
तुम ही कहां गुलाम हो उनकी निगाह के
पुश्तों से उनके दास हैं कुछ लोग भी ।
बेहतर है अपने आप को रखिए ज़मीन पर
मज़बूरियों में ख़ास हैं कुछ और लोग भी ।</poem>