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आँसू / जयशंकर प्रसाद

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टकराती बिलखाती-सी<br />
पगली-सी देती फेरी?<br />
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क्यें व्यथित व्योमगंगा-सी<br />
वह फूल सदृश हो खिलता!<br />
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इस गगन यूथिका वन में<br />
तारे जूही से खिलते<br />
आँसू इस विश्व-सदन में ।<br />
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