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मौन न रहो / रंजना भाटिया

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|रचनाकार=रंजना भाटिया
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}}
<poem>मौन ना रहो ,कुछ शब्द प्यार के फिर से मुखरित होने दो
बांधों मत आज अपने अधर, प्रेम चिन्ह इनसे अंकित होने दो

दिल में बढ़ता प्रेम ज्वर अब कहीं थमने ना पाए
लोग कहे मुझे प्रेम दीवानी ,मीरा मुझ को होने दो

मेरे उर में भर के प्रीत नयी , तुम मेरा हर मौन हरो
बहे ब्यार सिर्फ़ प्रेम की ,आज ऐसी ध्वनि को बहने दो

दिल के दर्पण पर आया है प्रियतम तुम्हारा रूप उतर
मेरे नयनो को नित नये अब कोई ख़वाब सलोने दो

मैं ..मैं ना रहूँ आज बस तू ही तू नजर जाऊँ
हौले -धीमे से ऐसी प्यार की बरसात होने दो

प्रेम सुरो में डूबे हो जीवन के राग रंग सारे
आज राधा को फ़िर से श्याम मय होने दो

मौन ना रहो ,कुछ शब्द प्यार के फिर से मुखरित होने दो
बांधो मत आज अपने अधर , प्रेम चिन्ह इनसे अंकित होने दो!!</poem>
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