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Kavita Kosh से
कटुतर यह कटु पेय बनेगा,
ऐसे पी सकता है कोई, तुझको हँस पी मुसकाना जाना होगा!
विष का स्वाद बताना होगा!
गरल पान करके तू बैठा,
फेर पुतलियाँ , कर-पग ऐंठा,
यह कोई कह कर सकता, मुर्दे , तुझको अब उठ गाना होगा!
विष का स्वाद बताना होगा!