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मैं जीवन का की शंका महान!
युग-युग संचालित राह छोड़,
युग-युग संचित विश्‍वास विश्वास ताड़!
मैं चला आज युग-युग सेवित,
पाखंड-रुढ़‍ि के रुढ़ि से बैर ठान।
मैं जीवन का की शंका महान!
होगी न हृदय में शांति व्‍यापकव्यापक,
कर लेता जब तक नहीं प्राप्‍तप्राप्त,
जग-जीवन का कुछ नया अर्थ,
जग-जीवन का कुछ नया ज्ञान।
मैं जीवन का की शंका महान!
अपनी शंका का समाधान।
मैं जीवन का की शंका महान!
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