भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
मैं जीवन में कुछ न कर सका!
जग में अँधियाला अँधियारा छाया था,
मैं ज्‍वाला लेकर आया था
मैंने जलकर दी आयु बिता, पर जगती का तम हर न सका!
Mover, Uploader
752
edits