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|रचनाकार=प्रभाकर माचवे
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प्रेम क्या किसी मृदूष्ण स्पर्श का भिखारी?
प्रेम क्या किसी मृदूष्ण स्पर्श का भिखारी ?<br>::प्रेम वो प्रपात<br>::गीत दिवारात<br>::गा रहा अशान्त<br>प्रेम आत्म-विस्मृत पर लक्ष्य-च्युत शिकारी ।<br>::प्रेम वह प्रसन्न<br>::खेत में निरन्न<br>""दुर्भिक्षावसन्न<br>सृजक कृषक खडा खड़ा दीन अन्नाधिकारी ।<br><br/poem>
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