भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
* [[वो धूप उजली सी, सुहानी शाम भी नहीं / श्रद्धा जैन]]
* [[तेरे हाथों से छूटी जो, मैं मिट्टी से हमवार हुई / श्रद्धा जैन]]
* [[वक़्त करता कुछ दगा या, तुम दगा करते मुझे छलते कभी / श्रद्धा जैन]]
* [[वो मुसाफिर किधर गया होगा / श्रद्धा जैन]]
* [[हमने छुपा के रखी थी सबसे जिगर की बात / श्रद्धा जैन]]
* [[रस घोलते बदन थे, गुलाबों के खो गये / श्रद्धा जैन]]
* [[वो लौट न पाएँगे मालूम न था हमको / श्रद्धा जैन]]
* [[इक लड़की पागल दीवानी, गुमसुम चुप-चुप सी रहती थी / श्रद्धा जैन]]
* [[चलो कुछ बात करते हैं / श्रद्धा जैन]]