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कविता कोश में वर्तनी के मानक

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/* अनुस्वार और अनुनासिक */
व्यंजन वर्गों में होते हैं। उदाहरण के लिए क ख ग घ ङ को कवर्ग कहा जाता है और च छ ज झ ञ चवर्ग यानि हर वर्ग का नाम अपने वर्ग के पहले व्यंजन पर होता है। हर वर्ग का अंतिम वर्ण या पंचम वर्ण अनुनासिक होता है। यानि उसका उच्चारण करने में नासिका (नाक) का भी सहयोग लेना पड़ता है। संस्कृत के एक नियम के अनुसार अनुनासिक व्यंजनों को बिंदु (अनुस्वार) में बदला जा सकता है।
अनुस्वार, किस अनुनासिक के अर्द्धरूप को जतला रहा है, यह बिंदु के ठीक बाद वाले अक्षर के वर्ग से पता चलता है, जैसे बंदर को लीजिए, यहाँ पर बिंदु के बाद द आ रहा है, जो कि तवर्ग का है, और तवर्ग का पंचम वर्ण न होता है, तो हम बिंदु को न के अर्द्धरूप से बदल सकते हैं, और इसे बन्दर कहेंगे। इसी तरह नीचे दिए गए शब्द हालांकि दो तरह से लिखे जा सकते हैंलेकिन बेहतर हो कि कविता कोश के सहयोगी कविता कोश में पहले रूप का ही उपयोग करें जैसे 'गङ्गा' की जगह 'गंगा' लिखें और 'चञ्चल' की जगह 'चंचल' क्योंकि आजकल हिन्दी में प्राय:यही रूप प्रचलन में हैं ।
गंगा=गङ्गा<br>
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