भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
'''--[[सदस्य:सम्यक|सम्यक]] २१:३५, १९ अक्टूबर २००९ (UTC)'''
सादर नमस्कार धर्मेन्द्र जी
एक और किताब पूरी होने पर बधाई स्वीकार करें
आप तो इतने कम समय में मेरे ideal भी बन गए हैं, काम करने की गति , लगन , और लक्ष्य पर नज़र सभी गुण झलकते हैं
मैं बहुत प्रभावित हूँ और खुद को बदलने के लिए बाध्य ..................................
अपने वार्ता पन्ने से पुरानी वार्ता जो अब अनुपयोगी हो उसे हटाने से नयी वार्ता में आसानी होती है .........
--[[सदस्य:Shrddha|Shrddha]] १३:००, २३ अक्टूबर २००९ (UTC)