भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
ढुलकते आँसू सा सुकुमार
बिखरते सपनों सा अज्ञात,
चुरा कर ऊषा अरुणा का सिन्दूरमुस्कुराया मुस्कराया जब मेरा प्रात,
छिपा कर लाली में चुपचाप