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दोस्त / अंशु मालवीय

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|संग्रह=दक्खिन टोला / अंशु मालवीय
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आश्वसित
 
 
मुँह से क्या कहूँ,
 
 
मेरा तो पूरा वजूद
 
 
तेरे लिये शुभकामना है मेरे दोस्त !
 
 
तुझे क्या बताऊँ
 
 
कि बिना दोस्त के नास्तिक नहीं हुआ जा सकता –
 
 
समाज में असुरक्षा है बहुत,
 
 
आदमी के डर ने बनाया है ईश्वर
 
 
और उसके साहस ने बनाई है दोस्ती
 
 
तुझसे क्या क़रार लूँ,
 
 
तेरा पूरा वजूद ही
 
 
मेरे लिये आश्वस्ति है
</poem >
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