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चंद शेर / मुनव्वर राना

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|संग्रह=
}}
<poem>
1.
हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते हैं
हम कुछ ऐसे तेरे दीदार 2.नये कमरों में खो जाते हैं<br>अब चीजें पुरानी कौन रखता हैजैसे बच्चे भरे बाज़ार परिंदों के लिए शहरों में खो जाते हैं<br><br>पानी कौन रखता है
नये कमरों में अब चीजें पुरानी कौन रखता 3.मोहाजिरो यही तारीख है<br>मकानों कीपरिंदों के लिए शहरों बनाने वाला हमेशा बरामदों में पानी कौन रखता है<br><br>रहा
मोहाजिरो यही तारीख है मकानों की<br>4.बनाने वाला हमेशा बरामदों में रहा<br><br>तुझसे बिछड़ा तो पसंद आ गयी बे-तरतीबीइससे पहले मेरा कमरा भी ग़ज़ल जैसा था
तुझसे बिछड़ा तो पसंद आ गयी बे-तरतीबी<br>5.इससे पहले मेरा कमरा किसी भी ग़ज़ल जैसा था<br><br>मोड़ पर तुमसे वफ़ादारी नहीं होगीहमें मालूम है तुमको यह बीमारी नहीं होगी
किसी भी मोड़ पर तुमसे वफ़ा6.तुझे अकेले पढूँ कोई हम-दारी नहीं होगी<br>सबक न रहेहमें मालूम है तुमको यह बीमारी नहीं होगी<br><br>मैं चाहता हूँ कि तुझ पर किसी का हक न रहे
तुझे अकेले पढूँ कोई हम-सबक न रहे<br>7.में चाहता हूँ कि तुझ पर किसी का हक न रहे<br><br>तलवार तो क्या मेरी नज़र तक नहीं उठीउस शख़्स के बच्चों की तरफ देख लिया था
तलवार तो क्या मेरी नज़र तक नहीं उठी<br>8.उस शख्स फ़रिश्ते आके उनके जिस्म पर ख़ुश्बू लगाते हैंवो बच्चे रेल के बच्चों की तरफ देख लिया था<br><br>डिब्बे में जो झाडू लगाते हैं
फ़रिश्ते आके उनके जिस्म पर खुश्बू लगाते हैं<br>9.वो बच्चे रेल के डिब्बे किसी को घर मिला हिस्से में जो झाडू लगाते हैं<br><br>या कोई दुकान आईमैं घर में सबसे छोटा था मेरी हिस्से में माँ आई
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दूकान आई<br>में घर में सबसे छोटा था मेरी हिस्से में माँ आई<br><br>10.सिरफिरे लोग हमें दुश्मन-ए-जां कहते हैं<br>
हम जो इस मुल्क की मिट्टी को भी माँ कहते हैं
</poem>
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