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जोगी / अनूप सेठी

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|रचनाकार=अनूप सेठी
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<poem>
:::'''1.'''
मैंने हाथ से कहा मिला लो हाथ
कल सूरज के बाद
:::'''2.'''
तना था तिरपाल बादामी दूर तलक
छाया माया दूर सुदूर
भूरा चोगा ओझल होता चला गया
 :::'''3.'''
ऊपर नीचे आगे पीछे क्या रखा है
किसने देखा किधर रास्ता जाता है चला गया
:::'''4.'''
चलती है कानों से कानों में
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