भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
|रचनाकार=अनूप सेठी
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
:::'''1.'''
मैंने हाथ से कहा मिला लो हाथ
कल सूरज के बाद
:::'''2.'''
तना था तिरपाल बादामी दूर तलक
छाया माया दूर सुदूर
भूरा चोगा ओझल होता चला गया
:::'''3.'''
ऊपर नीचे आगे पीछे क्या रखा है
किसने देखा किधर रास्ता जाता है चला गया
:::'''4.'''
चलती है कानों से कानों में