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Kavita Kosh से
|रचनाकार=अभिज्ञात
}}
{{KKCatGhazal}}<poem>बारहा तोहमतें गिला रखिए
आप हमसे ये सिलसिला रखिए
फिर भी तनहाइयाँ सताएँगी
आप चाहे तो काफ़िला रखिए
</poem>