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एक शे’र / अमजद हैदराबादी

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|रचनाकार= अमजद हैदराबादी
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किस शान से ‘मैं’ कहता हूँ, अल्लाह रे मैं।
समझा नहीं ‘मैं’ को आज तक वाह रे मैं॥
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