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#REDIRECT [[{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=अली सरदार जाफ़री}}{{KKCatGhazal}}<poem>ये बेकसो-बेक़रार चेहरे(ग़ज़ल) सदियों के ये सोगवार चेहरे मिट्टी में पड़े दमक रहे हैंहीरों की तरह हज़ार चेहरे ले जाके इन्हें कहाँ सजाएँये भूक के शाहकार<ref>भूख की सर्वोत्तम कृति</ अली सरदार जाफ़री]]ref> चेहरे अफ़्रीका -ओ-एशिया की ज़ीनतये नादिरे-रोज़गार<ref>दुनिया भर में सब से श्रेष्ठ</ref>चेहरे माज़ी के खण्डर की तरह दिलकशये शम्ए-सरे-मज़ार चेहरे फ़ीके हैं फ़रोगे-जर के बावस्फ़ताबिन्दा हैं ख़ाक़सार चेहरे गुज़रे हैं निगाहो-दिल से होकरहर तरह के बेशुमार चेहरे मग़रूर अना के घोंसलों मेंबैठे हुए कमइयार<ref>ख़राब व्यक्ति</ref> चेहरे नाक़ाबिले-इल्तिफ़ात<ref>उपेक्षा करने योग्य</ref> आँखेंनाक़ाबिले-ऐतिबार<ref>अविश्वासनीय</ref> चेहरे शुहरत<ref>ख्याति</ref> के बलन्द आस्माँ परछुटते हुए-से अनार चेहरे पल भर में धुआँ-धुआँ मगर सबपल भर में फ़क़त ग़ुबार चेहरे सोने का चढ़ा है पानीपीतल के ये शानदार चेहरे पहने हैं नक़ाबे-पारसाईजन्नत के कि़रायादार चेहरे इन सब से मगर हसीनतर हैंरिन्दों के गुनाहगार चेहरे हँसते हुए नैज़ा-ओ-सिनाँ परवो शबनमे-नोके-ख़ार चेहरे चुपके-चुपके सुलग रहे हैंआतशकदः ए-बहार चेहरे शो’लों के मिज़ाज-आशना हैंबर्फ़ाब-से बेशरार चेहरे उम्मीद की शम्अ़ से फ़ुरोज़ाँशाइस्तः ए-इन्तिज़ार<ref>प्रतीक्षा के योग्य</ref> चेहरे {{KKMeaning}}</poem>