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नया पृष्ठ: '''रचनाकार : आरसी प्रसाद सिंह''' कलकत्ते से दमदम आए बाबू जी के हमदम आ…
'''रचनाकार : आरसी प्रसाद सिंह'''
कलकत्ते से दमदम आए
बाबू जी के हमदम आए
हम वर्षा में झमझम आए
बर्फी, पेड़े, चमचम लाए।
खाते पीते पहुँचे पटना
पूछो मत पटना की घटना
पथ पर गुब्बारे का फटना
तांगे से बेलाग उलटना।
पटना से हम पहुँचे रांची
रांची में मन मीरा नाची
सबने अपनी किस्मत जांची
देश देश की पोथी बांची।
रांची से आए हम टाटा
सौ सौ मन का लो काटा
मिला नहीं जब चावल आटा
भूल गए हम सैर सपाटा !
कलकत्ते से दमदम आए
बाबू जी के हमदम आए
हम वर्षा में झमझम आए
बर्फी, पेड़े, चमचम लाए।
खाते पीते पहुँचे पटना
पूछो मत पटना की घटना
पथ पर गुब्बारे का फटना
तांगे से बेलाग उलटना।
पटना से हम पहुँचे रांची
रांची में मन मीरा नाची
सबने अपनी किस्मत जांची
देश देश की पोथी बांची।
रांची से आए हम टाटा
सौ सौ मन का लो काटा
मिला नहीं जब चावल आटा
भूल गए हम सैर सपाटा !