भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सैर सपाटा / आरसी प्रसाद सिंह

59 bytes added, 19:26, 6 नवम्बर 2009
'''{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार : =आरसी प्रसाद सिंह''' |संग्रह=}}{{KKCatNavgeet}}<poem>
कलकत्ते से दमदम आए
 
बाबू जी के हमदम आए
 
हम वर्षा में झमझम आए
 
बर्फी, पेड़े, चमचम लाए।
खाते पीते पहुँचे पटना
 
पूछो मत पटना की घटना
 
पथ पर गुब्बारे का फटना
 
तांगे से बेलाग उलटना।
पटना से हम पहुँचे रांचीराँची रांची राँची में मन मीरा नाची सबने अपनी किस्मत जांचीजाँचीदेश -देश की पोथी बांची। रांची से आए हम टाटा सौ सौ मन का लो काटाबाँची।
राँची से आए हम टाटा
सौ-सौ मन का लो काटा
मिला नहीं जब चावल आटा
 
भूल गए हम सैर सपाटा !
</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits