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बरफ पड़ी है / नागार्जुन

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बरफ पड़ी है<br>
सर्वश्वेत पार्वती प्रकृति निस्तब्ध खड़ी है <br>
सजे सजाए बंगले होंगे<br>
सौ दो सौ चाहे दो एक हज़ार<br>
बस मुठ्ठी भर लोगों द्वारा यह नगण्य श्रंगार<br>
देवदारूमय सहस बाहु चिर तरूण हिमाचल कर सकता है क्यों कर अंगीकार<br><br>

चहल पहल का नाम नहीं है<br>
बरफ बरफ है काम नहीं है<br>
दप दप उजली सांप सरीखी सरल और बंकिम भंगी में —<br>
चली गयीं हैं दूर दूर तक<br>
नीचे ऊपर बहुत दूर तक<br>
सूनी सूनी सड़कें <br>
मैं जिसमें ठहरा हूं वह भी छोटा सा बंगला है —<br>
पिछवाड़े का कमरा जिसमें एक मात्र जंगला है<br>
सुबह सुबह ही <br>
मैने इसको खोल लिया है<br>
देख रहा हूं बरफ पड़ रही कैसे<br>
बरस रहे हैं आसमान से धुनी रूई के फाहे <br>
या कि विमानों में भर भर कर यक्ष और किन्नर बरसाते <br>
कास कुसुम अविराम<br><br>

ढके जारहे देवदार की हरियाली को अरे दूधिया झाग<br>
ठिठुर रहीं उंगलियां मुझे तो याद आरही आग<br>
गरम गरम ऊनी लिबास से लैस<br>
देव देवियां देख रही होंगी अवश्य हिमपात<br>
शीशामढ़ी खिड़कियों के नज़दीक बैठकर<br>
सिमटे सिकुड़े नौकर चाकर चाय बनाते होंगे<br>
ठंड कड़ी है<br>
सर्वश्वेत पार्वती प्रकृति निस्तब्ध खड़ी है <br>
बरफ पड़ी है<br><br>