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Kavita Kosh से
|रचनाकार=इला प्रसाद
}}
{{KKCatKavita}}<poem>तुम तो ख़ुद ही हो नदी;
शांत समभाव से बहती हुई
कहीं शब्द नहीं कोई
केवल गति, केवल गति
</poem>