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Kavita Kosh से
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आज महिला दिवस पर
मन में बहुत कुछ चल रहा है,
क्या लिखूँ क्या न लिखूँ के बीच
समय बीत रहा है,
इसी बीतने में
हर दिवस हर त्यॊहार की तरह
यह भी निकल न जाए.
नही़ नहीं- मैं
मैं लिखूँगी अपनी एक कविता
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