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Kavita Kosh से
|रचनाकार= उदय प्रकाश
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बादलों को सींग पर उठाए
खड़ा है आकाश की पुलक के नीचे
एक बूंद के अचानक गिरने से
देर तक सिहरती रहती है उसकी त्वचा
देखता हुआ उसे
भीगता हूं मैं
देर तक ।
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