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तुमरे दरस बिन बावरी / मीराबाई

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रचनाकार: [[मीराबाई]]
[[Category:मीराबाई]]
[[Category:कविताएँ]]
[[Category:पद]]

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दूर नगरी, बड़ी दूर नगरी-नगरी<br>
कैसे मैं तेरी गोकुल नगरी<br>
दूर नगरी बड़ी दूर नगरी<br>
रात को कान्हा डर माही लागे,<br>
दिन को तो देखे सारी नगरी। दूर नगरी...<br>
सखी संग कान्हा शर्म मोहे लागे,<br>
अकेली तो भूल जाऊँ तेरी डगरी। दूर नगरी...<br>
धीरे-धीरे चलूँ तो कमर मोरी लचके<br>
झटपट चलूँ तो छलकाए गगरी। दूर नगरी...<br>
मीरा कहे प्रभु गिरधर नागर, <br>
तुमरे दरस बिन मैं तो हो गई बावरी। दूर नगरी...<br><br>