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भजो रे मन गोविन्दा / मीराबाई

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रचनाकार: [[मीराबाई]]
[[Category:मीराबाई]]
[[Category:कविताएँ]]
[[Category:पद]]

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नटवर नागर नन्दा, भजो रे मन गोविन्दा,<br>
श्याम सुन्दर मुख चन्दा, भजो रे मन गोविन्दा।<br>
तू ही नटवर, तू ही नागर, तू ही बाल मुकुन्दा ,<br>
सब देवन में कृष्ण बड़े हैं, ज्यूं तारा बिच चंदा।<br>
सब सखियन में राधा जी बड़ी हैं, ज्यूं नदियन बिच गंगा,<br>
ध्रुव तारे, प्रहलाद उबारे, नरसिंह रूप धरता।<br>
कालीदह में नाग ज्यों नाथो, फण-फण निरत करता ;<br>
वृन्दावन में रास रचायो, नाचत बाल मुकुन्दा।<br>
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, काटो जम का फंदा।।<br><br>