भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मीरा की विनती छै जी / मीराबाई

1,239 bytes added, 13:31, 10 दिसम्बर 2006
रचनाकार: [[मीराबाई]]
[[Category:मीराबाई]]
[[Category:कविताएँ]]
[[Category:पद]]

~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*

दरस म्हारे बेगि दीज्यो जी !<br>
ओ जी! अन्तरजामी ओ राम ! खबर म्हारी बेगि लीज्यो जी <br>
आप बिन मोहे कल ना पडत है जी !<br>
ओजी! तडपत हूँ दिन रैन रैन में नीर ढले है जी<br>
गुण तो प्रभुजी मों में एक नहीं छै जी !<br>
ओ जी अवगुण भरे हैं अनेक, अवगुण म्हारां माफ करीज्यो जी <br>
भगत बछल प्रभु बिड़द कहाये जी ! <br>
ओ जी! भगतन के प्रतिपाल, सहाय आज म्हांरी बेगि करीज्यो जी<br>
दासी मीरा की विनती छै जी !<br>
ओजी! आदि अन्त की ओ लाज , आज म्हारी राख लीज्यो जी!<br><br>