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Kavita Kosh से
--[[सदस्य:Shrddha|Shrddha]] १३:००, २३ अक्टूबर २००९ (UTC)
==बड़े कवियों का कूड़ा==
प्रिय धर्मेन्द्र जी! ठीक कहा आपने कि कुछ बड़े कवियों की कुछ रचनाएँ कूड़े जैसी लगती हैं। लेकिन चूँकि वे ’बड़े’ बन गए हैं और ’बड़े’ माने जाते हैं इसलिए हमें उनकी सभी रचनाएँ कविता कोश में जोड़नी होंगी। चाहे वे कितनी भी ख़राब हों। बड़े कवि हो जाने का यह फ़ायदा तो उन्हें मिलता ही है जो नए और सामान्य कवियों को नहीं मिलता।
--[[सदस्य:अनिल जनविजय|अनिल जनविजय]] २१:१०, १६ नवम्बर २००९ (UTC)