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{{KKRachna
|रचनाकार=लाल्टू
|संग्रह=
}}
<poem>खराब ख
ख खुले
खेले राजा
खाएं खाजा ।
खराब ख
की खटिया खड़ी
खिटपिट हर ओर
खड़िया की चाक
खेमे रही बाँट ।
खैर खैर
दिन खैर
शब खैर ।
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=लाल्टू
|संग्रह=
}}
<poem>खराब ख
ख खुले
खेले राजा
खाएं खाजा ।
खराब ख
की खटिया खड़ी
खिटपिट हर ओर
खड़िया की चाक
खेमे रही बाँट ।
खैर खैर
दिन खैर
शब खैर ।
</poem>