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Kavita Kosh से
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यह समय
फिलहाल राष्ट्रीय समाचार हो गया है
और यह सदाचार का तकाजा है
कि आंख आँख को अस्तित्व के आकाश से
नीचे उतारिये
और दूर दर्शन दूरदर्शन पर नजर डालियेवहां बाजार वहाँ बाज़ार के यशगान मेंवाणिज्य मंव्री मंत्री न्यौता दे रहे हैं
तरक्की के एक अदभुत चमचमाते समय को
और उनके समर्थन में सिर हिला रहे
बिल्कुल अपने नोनी गोपाल मंडल की तरह
बकौल अक्षय उपाध्याय
जिनकी एक नहीं, पांचों पाँचों उंगलियों में
मतदान की स्याही के निशान हैं
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