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<Poempoem>
बहता है शीतल पवन
नानगेरा <ref>गारो पर्वतमाला के पश्चिम में स्थित एक पहाड़ी </ref> से
लाते हुए वर्षा की बूंदें,
ब्रह्मपुत्र और समुद्र से।
सालजौंग <ref>फसल का देवता</ref> देवता के खेत परशकरकन्द और त:मत्ची <ref>एक प्रकार की शकरकन्दी</ref> पर
कृपा है वर्षा की ।
फलने-फूलने दो धान और ज्वार के पौधों को,
फूलने दो वृक्षों को
आओ, वर्षा !
गहरा होने दो पोखरों और पोखरों और भवरों को
तैरने दो ऊपर की ओर ना:रोंग <ref>मछली का नाम </ref> और ना:ची <ref>मछली का नाम </ref> को
आओ, बाढ़ !
बहता है शीतल पवन,
'''मूल गोरा भाषा से अनुवाद : डा० श्रुति
'''शब्दार्थ :नानगेरा=गारो पर्वतमाला के पश्चिम में स्थित एक पहाड़ी; सालजौंग=फसल का देवता; त:मत्ची=एक प्रकार की शकरकन्दी; ना:रोंग और ना:ची= मछलियों के नाम
</poem>
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