भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}}{{KKRachna |रचनाकार=रमा द्विवेदी }}{{KKCatKavita}}<poem>ऊंचाई मनुष्य को अपने परिवेश से, <br> करती है अलग,<br>ऊंचाई चाहे पद की हो,<br>पैसे की हो या ज़ान की,<br>मनुष्य सहज नहीं हो पाता,<br>अपने स्तर की चाह में वो,<br>कहीं सुकून नहीं पाता,<br>स्तर की समानता है आवश्यक,<br>समानता जुड़ने का है एक माध्यम,<br>असमानता में मानव टूट सकता है,<br>किन्तु वह सहज नहीं हो पाता।<br>विचारों की असमानता,<br>संबंधों के टूटने का,<br>है एक विशेष कारण,<br>विचारों की असमानता ,<br>मनुष्य को अनजाने ही,<br>कठोर बना देती है,<br>आत्म विस्तार के अभाव में,<br>अपने संपूर्ण व्यक्तित्व को ,<br>दांव पर लगा देती है।<br>झगड़ा रिश्तों का नहीं,<br>विचारों का होता है,<br>विचारों के झगड़े में ही,<br>मानव रिश्तों को खोता है।<br>रिश्तों को निभाने का वह ,<br>असफल प्रयास करता है,<br>किन्तु अपनी सोच के परिवर्तन का,<br>कोई उपचार नहीं करता,<br>हर समस्या का समाधान ,<br>हर एक के दिल में होता है,<br>विश्वास,आत्मीयता,सही सोच,<br>रिश्तों को बनाये रखने का,<br>अचूक हल होता है।<br/poem>
Delete, KKSahayogi, Mover, Protect, Reupload, Uploader
19,164
edits