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कभी ताप कभी तैया / गगन गिल

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|संग्रह=थपक थपक दिल थपक थपक / गगन गिल
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पके है पके है जी पके है
 
दिन रात कोई फल जी पके है
 
जी में गले है सड़े है फले है
 
दिन-रात दुख जी में एक पके है
 
नींद-जाग में चले है चले है
 
बिना पैरों वाला कोई जी चले है
 
धुख-धुख साँस काली स्याह होवे है
 
दम घुटे है कि घोंटे कोई बोलो रे
 
गिरे है कभी भी गिरे है
 
कोई ईंट आकाश से गिरे है
 
धँसे है धँसे है धँसे है
 
दलदल में अपनी ही पाँव अपना धँसे है
 
गिरे है उड़े है झड़े है
 
पंख माँस कभी हड्डी से झड़े है
 
चढ़े है उतरे है बौराए है
 
कभी ताप कभी तैया घबराए है
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