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|संग्रह=नियति,इतिहास और जरायु / श्रीनिवास श्रीकांत
}}
{{KKCatKavita}}<poem>गुमशुदा पहचान
और अनमने आसमान के बीच
परबतों के ऊँट
आ गये हैं
एक दूसरे के समीप
 
मेरे आँगन में
पिछले हिमपात
जो लग रहा था अनाथ
::::उदास ::::बेबस
मेरे बीच से
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