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Kavita Kosh से
|रचनाकार=लुई आरागों
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कुछ नहीं
न हो धूप और न छाँव
शायद कोई और
अगर कुछ नहीं हो तो
लेज़ादिय से(1982) से
'''मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी
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