भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
::"घूँट यह पी लो कि संकट जा रहा है।
::आज से अच्छा दिवस कल आ रहा है"।
::(३)
सभी दुखों की एक महौषधि धीरज है,
सभी आपदाओं की एक तरी आशा।
</poem>