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14:40, 24 जनवरी 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना जायसवाल
|संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / रंजना जायसवाल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
फड़कती है
बाईं आँख
खुजलाती है
हथेली
हाथ से
छूट जाता है
पानी का बरतन
आती है हिचकी
बार - बार
और हर बार
नहीं छूटती
तुम्हारे आने की
उम्मीद...।
</poem>