भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ईसुरी की फाग-8 / बुन्देली

614 bytes added, 18:39, 30 जनवरी 2010
ई धंधे के बीच 'ईसुरी' करत-करत मर जानें ।
 
 
 
''' भावार्थ'''<br><br>
 
 
पास बैठ जाओ कुछ कहना है, काम तो जिंदगी भर रहेगा
सभी को ये काम लगा रहता है जब तक वोह जिन्दा रहता है, ये काम कभी ख़त्म नहीं होगा
काम थोड़ी देर रुक कर कर लेना, कुछ बिगड़ नहीं जायेगा
ईसुरी कहते है कि इस काम को कर कर के मर जायेंगे ।