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बरसात / गरज-गरज शोर करत

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गरज-गरज शोर करत काली घटा, जिया न लागे हमार।

बिजली बन कर चमकती मेरे मन की आग।
आहें मेरी बन गईं न्यारे-न्यारे राग।।
सावन की भीगी है रात, सखी सुन री मेरी तू बात।
है नैनों में आँसुओं की धार, जिया न लागे हमार।। गरज...

मेरे आँसू बरसते लोग कहें बरसात।
पल-पल आवत याद है पिया मिलन की रात।।
कोयल की दरदीली तान सखि दिल में मारत बान।
अब कैसे हो मुझ को करार, जिया न लागे हमार।। गरज...
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