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उन्हें शौक़-ए-इबादत भी है और गाने की आदत भी
निकलती हैं दुआऎं दुआऐं उनके मुंह से ठुमरियाँ होकर
तअल्लुक़ आशिक़-ओ-माशूक़ का तो लुत्फ़ रखता था