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दहर में नक़्शे-वफ़ा / ग़ालिब

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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
; दहर<ref>संसार</ref> में नक़्श-ए-वफ़ा वजह-ए-तसल्ली न हुआ
है यह वो लफ़्ज़ कि शर्मिन्दा-ए-माअ़नी<ref>सार्थक</ref> न हुआ
{{KKMeaning}}
:अर्थ
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