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न गुल-ए-नग़्मा हूँ / ग़ालिब

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असदुल्लाह ख़ां तमाम हुआ
ऐ दरेग़ा<ref>हाय</ref> वह रिंद-ए-शाहिदबाज़<ref>सौन्दर्य-आसक्त शराबी</ref></poem>
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