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<poem>   
मैं तुझे फिर मिलूँगी
कहाँ किस तरह पता नहीं
कायनात के कण होते हैं
मैं उन कणों को चुनुँगीचुनूँगीमैं तुझे फिर मिलूंगी मिलूँगी !!
<poem>
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