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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>प्यार के जज़्बों को ताबानी<ref>रौशनी </ref>देते रहना
इन फूलों को अक्सर पानी देते रहना
क़ाइम रखना लम्स<ref>स्पर्श</ref> यूँ ही शादाब लबों<ref>हरे-भरे / रसीले होंठों</ref>का
कुछ लम्हे मुझको लाफ़ानी<ref>अनश्वर</ref> देते रहना
इनको ‘मीर’ ‘कबीर’ की बानी देते रहना
दिल के जलने—बुझने में ही लुत्फ़ है यारो
अब तब इसको आग और पानी देते रहना
ठहरा—ठहरा दिल का दरिया सूख न जाये
लहरों को थोड़ी तुग़यानी<ref>बाढ़</ref> देते रहना
बूढ़े भी तो बच्चों जैसे ही होते हैं
इनको भी थोड़ी मनमानी देते रहना
मैं शिमले का बाशिंदा हूँ लू से ख़ाइफ़<ref>भयभीत</ref>
‘शौक़’! मुझे झोंके बर्फ़ानी देते रहना
</poem>
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