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|रचनाकार=अज्ञातशिव कुमार बटालवी
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{{KKLokGeetBhaashaSoochi
|भाषा= पंजाबी }}
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डाची वालेया वालेआ मोड़ मुहाल मुहार वे सोहणी वालिया वालेआ लै चल नाल वे ,डाची वालेया वालेआ मोड़ मुहार वे...सोहणी...
तेरी डाची ते दे गल विच टलीयां विच्च टल्लीआंनी वे मैं पीर मनावन चलीआं मनावन चलीयां तेरी डाची दी सोहनी चाल वेओये डाची वालेया मोड़ मुहार वे...
तेरी डाची दी सोहनी चाल थलां नू चीरनी वे मैं पीरां नू सुख्खनी आ खीरनी आके तक्क जा साडा हाल वे , ओये-डाची वालेया वालेआ मोड़ मुहाल मुहार वे ...
तेरी डाची थल्लन नू चीरनी दे चुम्नीआं पैर वे तेरे सिर दी मंगनीआं खैर वे मैं पीरन साडी जिंदड़ी नू सुखनी खीरनी, एन्ज न गाल वेओये डाची वालेआ मोड़ मुहार वे...
आके तक जा साडा हाल तेरी डाची तों सदके मैं जानीआंपंजा पीरां नू पई मैं मनानिआँ. सुख्खां सुखनिआँ तेरियां लाल वे, ओये डाची वालिया वालेआ मोड़ मुहार वे ...
तेरी डाची दे चुम्नीयां पैर वे तेरे सिर दी मंगनीयां खैर वे, साडी जिंदगी नू एन्ज न गाल वे, ओये डाची वालिया वालेआ मोड़ मुहार वे  तेरी डाची तों सदके मैं जानीयां, पंजा पीरन नू पई मनौनिआँ.  सुखां सुखनिआँ तेरियां लाल वे, ओये डाची वालिया मोड़ मुहार वे  डाची वालिया मोड़ मुहार वेसोहणी वालिया वालेआ लै चल नाल वे...
</poem>
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