भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
वो जीवन मे सुख पा लेते भी तो कैसे
जिनको ड़सते डसते इच्छाओं के नाग रहे हैं
रंगों से नाता ही मानो टूट गया हो
अपने जावन जीवन मे ऐसे भी फाग रहे हैं
</poem>
235
edits