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[[Category:ग़ज़ल]]
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सूप का शायक़ <ref>शौक़ीन</ref> हूँ , यख़नी <ref>एक किस्म का शोरबा जो पुलाव पर डाला जाता है</ref> होगी क्याचाहिए कटलेट , यह कीमा क्या करूँ
लैथरिज <ref>एक लेखक</ref> की चाहिए , रीडर मुझेशेख़ सादी की करीमा ,<ref>शेख़ सादी की एक क़िताब जिसमें ईश्वर का गुणगान किया गया है</ref> क्या करूँ
खींचते हैं हर तरफ़ , तानें हरीफ़<ref>दुश्मन या विरोधी</ref>फिर मैं अपने सुर को , धीमा क्यों करूँ
डाक्टर से दोस्ती , लड़ने से बैरफिर मैं अपनी जान , बीमा क्या करूँ
चांद में आया नज़र , ग़ारे-मोहीब<ref>गहरी गुफ़ा</ref>हाये अब ऎ ऐ, माहे-सीमा <ref>चन्द्रमुखी</ref> क्या करूँ '''शब्दार्थ :शायक़= शौक़ीन, चाहने वाला; करीमा= शेख़ सादी की एक क़िताब जिसमें ईश्वर का गुणगान किया गया है।; हरीफ़=दुश्मन या विरोधी; ग़ारे-मोहीब=गहरी गुफ़ा; माहे-सीमा= चन्द्रमुखी
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