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Kavita Kosh से
जो दुआयें दे रही है तेरी चश्म-ए-बेवफ़ा को
कहीं रह गई है शायद तेरे तेरे दिल की धड़कनों में
कभी सुन सके तो सुन ले मेरी ख़ूँशिदा नवा को